Mahavir jayanti 2024: इस साल 2024 में 21 अप्रैल को महावीर जयंती मनाई जाएगी इस दिन जैन धर्म के 24 वे तीर्थंकर महावीर स्वामी का जन्म हुआ था जानते हे उनके सिद्धांत, शिक्षाएं व जैन धर्म के बारे में ।
महावीर स्वामी के 5 सिद्धांत ।
सत्य, अहिंसा,अचौर्य (अस्तेय), अपरग्रह, ब्रह्मचर्य।
- सत्य– महावीर स्वामी ने सत्य पर अत्यधिक जोर दिया है और हमेशा सत्य बोलना चाहिए ये सिख देने का प्रयास उनके द्वारा किया गया सत्य को ही सच्चा तत्व बताया गया । जो भी व्यक्ति सत्य का आचरण करता हैं वो मृत्युलोक को भी तेर कर पार करने की क्षमता रखता है ।
- अहिंसा -सभी जीवों के प्रति दया का भाव रखो इस लोक के किसी भी जीव पर हिंसा मत करो उनकी रक्षा करो उनके अनुसार सिर्फ शरीर को क्षति पहुंचाना ही अहिंसा नही हे बल्कि मन,वचन या किसी भी कर्म से किसी को आहत करते हो तो वो भी अहिंसा हे।
- अचौर्य(अस्तेय) – दुसरे की चीजों को बिना दिए ले लेने पर इससे जैन धर्म में चोरी कहा गया हे ! कभी भी में का भाव नहीं रखना चाहिए हम का भाव रखने वाला इन्सान ऊँचाई को छुता हे.इश्वर ऐसे लोगो की मदद हमेशा करता हे |
- अपरिग्रह (चीजों को जमा करने से बचना ) – इनके अनुसार चीजों का जमा नहीं करना चाहिए जो इन्सान सजीव व निर्जीव चीजों को जमा करता हे या करवाता हो उसे दुखो से छुटकारा आसानी से नहीं मिलता !
- ब्रह्मचर्य – महावीर स्वामी के अनुसार किसी भी प्रकार के इन्द्रिक आनंद के गिरफ्त में नहीं आना व वासनाओ और कामनाओ पर काबू पा लेने की तपस्या ही ब्रह्मचर्य हे |Mahavir jayanti 2024
महावीर स्वामी की महत्वपूर्ण शिक्षाएँ व ज्ञान !
ईश्वर में अविश्वास– महावीर स्वामी के अनुसार उन्होंने इस विचार को खारिज कर दिया कि ईश्वर है और इस बात से इनकार किया कि उसने या तो दुनिया बनाई या इस पर उसका किसी भी तरह का सीधा नियंत्रण था। महावीर स्वामी का मानना है कि दुनिया का कोई अंत नहीं है. इस दुनिया में कभी कुछ भी कभी ख़त्म नहीं होता; यह केवल अपना आकार बदलता है। ब्रह्माण्ड केवल इसलिए अपना रूप बदलता है क्योंकि यह उन्हीं पदार्थों से बना है।
वेदों की अस्वीकृति– जैन धर्म ने इसी तरह वैदिक सिद्धांत को खारिज कर दिया और ब्राह्मणों की बलि प्रथाओं को बहुत कम महत्व दिया।
अहिंसा– महावीर ने अहिंसा को अधिक प्रमुखता दी। सभी जीवित चीज़ें – जानवर, पौधे, पत्थर, और इसी तरह – जीवन रखती हैं, और किसी को कभी भी शब्दों, कार्यों या कार्यों के माध्यम से किसी अन्य व्यक्ति को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए। हालाँकि यह विचार बिल्कुल नया नहीं था, फिर भी इसे लोकप्रिय बनाने और कई प्रकार के बलिदानों की प्रथा को समाप्त करने के लिए जैन प्रशंसा के पात्र हैं।
महिलाओं को स्वतंत्रता– महावीर स्वामी ने महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया और सोचा कि उन्हें निर्वाण तक पहुंचने का समान अधिकार है। इस संबंध में महावीर ने अपने पूर्वज पार्श्व नाथ के आचरण का अनुकरण किया। जैन संघ ने महिलाओं का स्वागत किया और उनमें से कई अंततः सार्मिनी और श्राविका बन गईं।
आत्मा और कर्म में विश्वास– महावीर के विचार में प्रत्येक तत्व भौतिक और आध्यात्मिक तत्वों का मिश्रण है। आध्यात्मिक कारक बाहरी है और निरंतर विकसित हो रहा है, जबकि भौतिक कारक क्षणिक है। उनका मानना था कि आत्मा की दासता की स्थिति के लिए कर्म दोषी है
निर्वाण- महावीर स्वामी के अनुसार मोक्ष प्राप्त करना ही जीवन का मुख्य लक्ष्य होना चाहिए । इसलिए, उन्होंने बुरे कर्मों से बचने, अन्य सभी प्रकार के नए कर्मों को रोकने और जो पहले से मौजूद हैं उन्हें नष्ट करने पर जोर दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि इसे नुकसान न पहुंचाने (अहिंसा), सच बोलना (सत्य), चोरी से बचना (अस्तेय), व्यभिचार से बचना (ब्रह्मचर्य), और कब्जे से बचना (अपरिग्रह) के पांच व्रतों के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।Mahavir jayanti 2024
Mahavir Jayanti 2024: जैन धर्म के बारे में जाने !
- जैन धर्म के संस्थापक प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव थे .
- महावीर स्वामी जैन धर्म के अंतिम तीर्थकर हुए .
- महावीर स्वामी का जन्म कुंडग्राम (वैशाली ) में हुआ था इनके पिता सिद्दार्थ व माता त्रिशला थी .
- महावीर स्वामी की पत्नी का नाम यशोदा एवं पुत्री का नाम अनोज्जा प्रियेदर्शानी था .
- महावीर स्वामी का बचपन का नाम वर्धमान था इन्होने 30 वर्ष की आयु में माता पिता की म्रत्यु के पश्चात अपने बड़े भाई नन्दिवर्धन से अनुमति लेकर सन्यास जीवन को स्वीकार्य किया
- महावीर स्वामी ने 12 वर्ष तक रिजुपलिका नदी के तट पर साल वृक्ष के निचे तपस्या की और यहाँ उन्हें सम्पूर्ण ज्ञान की प्राप्ति हुयी.
- महावीर स्वामी ने अपने उपदेश प्राकृत भाषा (अर्धमागधी ) में दिया था .
- इनके प्रथम अनुयायी इनके दामाद (प्रियदर्शनी के पति ) जामिल बने थे .
- प्रथम जैन भिक्षुणी नरेश दधिवाहन की पुत्री चंपा थी .
- जैन धर्म के त्रिरत्न – सम्यक दर्शन ,सम्यक ज्ञान ,सम्यक आचरण हैं
- 72 वर्ष की आयु में म्रत्यु (निर्वाण) 468 ईसा पूर्व में बिहार राज्य के पावापुरी (राजगीर) में हुआ .
Mahavir Jayanti 2024 –महावीर स्वामी का जीवन परिचय निचे तालिका में दिया गया हैं –
विषय | जानकारी |
---|---|
नाम | महावीर वर्धमान |
जन्म | विशाली (वर्धमान नगर), वर्धमाना (बिहार), भारत |
जन्म तिथि | निर्वाण (महापरिनिर्वाण) : ५१९ ईसा पूर्व (अनुमानित) |
पिता | सिद्धार्थ |
माता | त्रिशला |
पति (पत्नी) | यष्टी (यष्टी) |
शिक्षा | उम्मेद्धविज्जा (पूर्ण ज्ञान के साथ संसार का त्याग) |
धर्म | जैन धर्म |
महत्त्वपूर्ण घटनाएं | तपस्या, ध्यान, धर्म प्रचार, जैन धर्म के प्रमुख सिद्धांतों का प्रचार, अहिंसा का प्रमुख प्रचारक |
आदर्श | अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह |
प्रमुख उपदेश | “आत्मनो मोक्षार्थं जगद्धिताय च” (स्वाध्याय और आत्मा के मोक्ष के लिए, और समाज के हित के लिए) |
निर्वाण (मोक्ष) | पावापुरी (निवृत्ति) व श्रावस्ती (जन्म) |
- जैन धर्म में, तीर्थंकरों को विशेष महत्व दिया जाता है, जो सिद्धार्थ के पूर्व जन्मों में आए हैं और अनन्त जीवन का सिद्धार्थ के धर्म की प्रकटीकरण करते हैं। प्रमुख तीर्थंकरों की संख्या चार होती है, और उनके प्रतिक चिन्ह भी होते हैं:
- आदिनाथ (ऋषभनाथ):
- प्रतिक चिन्ह: बैंगन के रंग की घोड़ी, कोई भी बेगैर रक्त के खिलौना, लबाबू मोचक, गोल अवतार वाला पतंग, उदरविमोचन मुद्रा में
- महावीर (वर्धमान महावीर):
- प्रतिक चिन्ह: सिंह (शेर), राजतृण (अरिस्टोलोचिया), कालीमार (केवड़ा का पौधा), अधिक अध्ययन और प्रार्थना समय में शीश बाले, चार मोक्ष लक्षण, शान्त वातावरण में
- पार्श्वनाथ:
- प्रतिक चिन्ह: सर्प (नाग), ध्वज (पट्टाका), पीपल पेड़ (अश्वत्थ), उत्तान मुद्रा में
- नेमिनाथ:
- आदिनाथ (ऋषभनाथ):
- प्रतिक चिन्ह: शंख (कोंच), छलाना वाला पेड़, सिंहद्वार (लयन की देवी), सर्पिणी (नागिन), धरती पर उठाने की मुद्रा में
- Mahavir jayanti 2024
- मनुष्य के दुखी होने का कारण उसकी अपनी गलतियां होती हैं. जिस दिन मनुष्य ने अपनी गलतियों पर काबू पा लिया, वह सच्चे सुख की प्राप्ति कर सकता है.
- स्वयं से लड़ो, बाहरी दुश्मनों से क्या लड़ना? जो स्वयं पर विजय प्राप्त कर लेगा , उसे आनंद की प्राप्ति निश्चित ही होगी
- आत्मा अकेले ही आती है और अकेले ही चली जाती है, ना कोई उसका साथ देता है और ना ही कोई उसका मित्र बनता है.
यह भी जाने –latestgyannews.com/ambedkar-jayanti-2024-संविधान-निर्माता-भारत/