Ambedkar jayanti 2024 : संविधान निर्माता ‘भारत रत्‍न’ भीमराव अंबेडकर की 133 वी जयंती पर जाने कुछ खास तथ्य जीवन परिचय ।

Ambedkar jayanti 2024 हर साल की तरह 14 अप्रैल को मनाई जाएगी इस साल की यह जयंती 133 वी जयंती होने वाली हैं संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर को भारत में एक महान व्यक्तित्व के रूप में जाना जाता हैं तथा भारत के पहले कानून और न्याय मंत्री के रूप में जाना जाता हैं तथा इन्हें ‘संविधान के जनक’ के रूप में भी भीमराव अंबेडकर को जाना जाता हैं ।

Ambedkar jayanti 2024 : क्यों मनाई जाती हैं 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती ?

हर साल भारत में 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती मनाई जाती है आज के ही दिन 14 अप्रैल 1891 को बाबा साहब का जन्म हुआ था । इन्होंने संविधान निर्माण में अपना अमूल्य योगदान दिया और अच्छे समाज सुधारक ,दार्शनिक, अर्थशास्त्री ,राजनीतिज्ञ होने की वजह से इनको श्रृद्धांजलि देने के रूप में प्रति वर्ष 14 अप्रैल को इनकी जयंती समानता दिवस व ज्ञान दिवस से रूप में मनाई जाती हैं।

Ambedkar jayanti 2024

भीमराव अंबेडकर का जीवन परिचय ।

प्रारंभिक जीवन —: भीमराव अंबेडकर का प्रारंभिक जीवन कठिनायीपूर्ण रहा हैं इनका जन्म 1891 में मध्यप्रदेश के महू की एक सैन्य छावनी में हुआ था इनके पिताजी का नाम रामजी मालोजी सकपाल, था जो सेना के सूबेदार थे, और इनकी माताजी भीमाबाई सकपाल थी ये अपने माता पिता की 14वीं और आखिरी संतान थे।

भीमराव अंबेडकर के दलित जाति से ताल्लुक रखने की वजह से इन्होंने बचपन से ही छुआछूत और सामाजिक व आर्थिक भेदभाव देखा 1897 में इनका परिवार मुंबई चला गया था इन्होंने एल्फिंस्टन हाई स्कूल में दाखिला लिया ये इस स्कूल के एकमात्र अछूत विधार्थी थे।1991 में 22 वर्ष की उम्र में ये न्यूयॉर्क शहर चले गए यह इन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त की।इनका निधन 6 दिसंबर 1956 को हुआ बाद में 1990 को इन्हे भारत रत्न से सम्मानित किया गया

इनके द्वारा लिखी गई पत्रिकाएं — मुकनायक 1920 में।

बहिस्कृत भारत 1927 में ।

समता (1929) में ।

जनता (1930) में ।

इनके द्वारा बनाए गए संघटन —

  • बहिष्कृत हितकारिणी सभा (1923)
  • इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी (1936)
  • अनुसूचित जाति संघ (1942) 

Ambedkar jayanti 2024 पर जाने उनके संघर्षपूर्ण जीवन के बारे में ।

भीमराव अंबेडकर चाहते तो अच्छी नौकरी करते हुए अपना जीवन व्यतीत कर सकते थे पर इन्होंने जीवन भर दलितों,मजदूरों ,महिलाओं के अधिकारों के लिए अपना जीवन लगा दिया महार जाति के होने की वजह से इन्होंने बचपन से ही भेदभाव देखा था यही कारण रहा कि जातिगत भेदभाव मिटाने के लिए इन्होंने जीवन भर काम किए इन्होंने आंदोलन ,सत्याग्रह के जरिए पेयजल संसाधानों को सार्वजनिक रूप में व बिना भेदभाव के इस्तमाल करने के लिए प्रयास किए साथ ही अछूतो को मंदिरों में प्रवेश दिलाने के लिए भी काम किए ।

1 ). तीनों गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने वाले भारतीय थे ।

2). 1932 में महात्मा गांधी के साथ मिलकर पूना पैक्ट पर समझौता किया जिसमे दलित वर्ग के अलग निर्वाचन मंडल के विचार को त्याग किया गया

3). दलित वर्ग के लोगो के हितों की रक्षा के लिए 1936 में इन्होंने इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी का गठन किया ।

4). 1947 में भारत के पहले कानून मंत्री बने ।

5). हिंदू कोड बिल पर मतभेदों को लेकर इन्होंने वर्ष 1951 में कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। 

क्या था हिन्दू कोड बिल में ?

हिन्दू कोड बिल में महिलाओ के अधिकार के बारे में बात की गयी थी जैसे की आजादी के समय हिन्दू समाज में पुरोषो को एक से ज्यादा शादी करने की आजादी थी .विधवाए दुबारा शादी नहीं कर सकती थी तथा इन्हें संपत्ति से वंचित रखा जाता था महिलाओ को बटवारे में संपत्ति का अधिकार नहीं था हिन्दू कोड बिल मृतक के पुत्र व पुत्री को संपत्ति में बराबर का अधिकार देता था !

1947 में भीमराव आंबेडकर ने हिन्दू कोड बिल संसद में पेश किया था !

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